RAKHI Saroj

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लेखनी प्रतियोगिता -30-Dec-2023

गांव

जीन गलियों का पता 
हम ख़ोज ना पाएं
जिनकी चाहत तो थी बस 
जिंदगी से इजाजत ले ना पाएं
कैसे कहें वो तुम ही हो 
जहां मिट्टी की खुशबू हो
या आकाश का उजियारा
सब अपना सा लगता है
जहां खिलती फसलें हमें
सुंदरता का हिसाब सिखाती है
जिसकी गलियों में मिलता है
प्यार का सागर और जिसके
हर घर में मिलता है दादी नानी
 का प्यार अब मिलती नहीं
गांव जाने राहें खोई है शहरों के 
अंधेरों में स्वर्ग की डगर बस
यादों का हिसाब है मेरी यादों में
अब गांवों का हर रंग आंखों की 
नमी बनकर चला आता है। 
         राखी सरोज
           नई दिल्ली 


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5 Comments

Gunjan Kamal

31-Dec-2023 11:11 AM

👏👌

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Amit Ratta

30-Dec-2023 04:20 PM

Nice

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Reyaan

30-Dec-2023 11:20 AM

Nyc

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